तड़फ उठती है सांसे,रूक जाती है धड़कन ।
अजय महिया – इश्क का राही
जब इश्क के हर अल्फ़ाज़,हमको याद आते है ।।
एक रोज देखा था ,तुमको किसी ओर के साथ ।
अब लोग उसी अल्फाजों से ,हमें जलाते है ।।
जब जन्म हुआ तब भी सम था,
जब मृत्यू होगी तब भी सम होगा
जन्म-मरण रूपी सम के बीच जो लय है ,
केवल आप उस लय से जीना सीख लो ।
अजय महिया – इश्क का राही
मेरी किस्मत की ताबीज़ मत बना,सजदा करना है उस हुस्न-ए-शबाब का
कितना रुलाएगी मुझे ए-जिन्दगी, अब कर दे हिसाब मेरे मेहनती किरदार का ।।
अजय महिया – इश्क का राही
दिल से दिलगी ना कीजिए साहब ,ये बड़ी तकलीफ़ देती है
चाहत किसी से किसी को हो ,हकीक़त बहुत कुछ बयां करती है
अजय महिया – इश्क का राही
मेरी ज़िन्दगी किसी की गुलामी नही करती है
प्यार,मोहब्बत को छोड़कर रोज फिल्म करती है
अजय महिया – इश्क का राही
तुम रूठो तो लगता है सारा ज़माना रूठ गया
मेरी जिन्दगी का हर सुख टूट गया
सुख के दो पल पास बिठाए रखना ए-दोस्त
क्या पता किस पल को हम अपना बना ले
अजय महिया – इश्क का राही
क्या कहे उनसे हमारी भावनाएं
जिनको हमारे सपने मालूम ना हो
अरे! टूट जायेंगे हम , तो क्या होगा
पर तुम सबका सपना तो पूरा होगा
अजय महिया – इश्क का राही
तुने ही तो दर्द दिया है तेरा इश्क का मारा हूं मै
अपनों के लिए बेगाना हूं ,खुद से पराया हूं मै
ए-मौत तेरी मेहरबानी हेै मुझ जैसे फकीर पर
कि शाम को जीतकर ही तो सुबह से हारा हूं मै
अजय महिया – इश्क का राही
सो जाऊं तो नींद नहीं आती है
अजय महिया – इश्क का राही
इश्क़ की हर बाला मुझको याद आती है
पानी हो गया है मेरा मुकदर
बहने पर भी नदी-नाली नहीं आती है
इश्क़ और जिद्द की बीमारी एक जैसी होती है जनाब
यदि अपने पे आ जाये बसे को उजाड़ दे, उजड़े को बसा दे
अजय महिया – इश्क का राही
खोलता चलूं मै अपने सीने मे दफ़न हर राज को
यदि तेरी दुआओं का बस साया जो मिले मुझको
ओ मा ! तेरा आशीर्वाद तो खुदा से भी बढ़कर है
तो फिर संसार का हर राज क्या तुमसे बढ़कर है
अजय महिया – इश्क का राही
मेरी खुबसूरत-सी ग़ज़लो को तेरे कानों के झुमकों ने ही निखार दिया
अब ऐसे लगता है जैसे चांद ने चांदनी से पहली बार मुलाकात की हो
अजय महिया – इश्क का राही
हरसतें तो हर प्यार करने वालों की
यही होती है जनाब
कि इश्क मे वो बाईज्जत बरी हो
लेकिन धरती के लोगों ने
उससे सजाएं-मौत दे दी साहब ।।
अजय महिया – इश्क का राही
हमारी मेहनत उसकी कामयाबी बन गई
भावुक नही हूं, आज आनन्दित हूं मै
क्योंकि मेरी खामोश उसकी पहचान बन गई
अजय महिया
लोग दूसरों को नीचा गिराने के लिए खुद इतने नीचे गिर जाते है कि उनसे अच्छा तो कीचड़ मे रहने वाला कीड़ा होता है
अजय महिया
कई तमन्नाएं थी,कई अरमान थे,मेरे दिल मे
बस अहसास ही नही था मतलबी दूनिया का
अजय महिया