अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 5

मुझे ज़िन्दगी तुझसे शिकायतें बहुत हैं,
तुझे दी मैंने हरपल हिदायतें भी बहुत हैं,
आज निकला जब मैं सड़क पर,
तब जाना कि तेरी मुझ पर इनायतें बहुत हैं ।

अभिनव कुमार

तुमने बनानी चाही हमसे,
हम बना ना पाए,,
ग़ैरों की तो बात दूर,
मेरे पास ना साए ।

अभिनव कुमार

तू हमारी फिक्र छोड़,
ख़ुद को तो पहले ठीक कर,
बड़ा आया फन्नेखां !
उपदेशों से अपनी जेब भर ।

अभिनव कुमार

किस्से इज़हार करूं ?
किस्से दिल का कारोबार करूं ?
सुना है सुनने वाले अक़्सर,
ख़फ़ा हो जाते हैं सुन सुनकर ।

अभिनव कुमार

मेरा होना, ना होना,
कोई मायने नहीं ….

अभिनव कुमार

तुम मुझको ज़लील करो,
मुझे आसमां से ज़मीन करो,
मैं उभरूँगा वादा है तुमसे,
कोई कसर बची, तो आमीन करो ।

अभिनव कुमार

तुम मुझको ज़लील करो,
मुझे आसमां से ज़मीन करो,
मैं उभरूँगा वादा है तुमसे,
मेरा ना सही, ख़ुद का तो यकीन करो ।

अभिनव कुमार

बहुत डरा, और अंदर से मैं सहमा भी हूँ,,
तुमसे सुनता, ख़ुद से मैं ये कहता भी हूँ,,
तुम्हें पता है, इजाज़त तुम्हें ये मैंने ही दी है,,
हदें पार तो होऊं तूफ़ां मैं, अभी शांत बस बहता ही हूँ ।

अभिनव कुमार
poemकविता