अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 12

उत्तम कितने भी हों विचार,
सार्थक तभी जब दिखे प्रभाव,
झलक दिखे गर आचरण में तो,
कथनी से करनी का होवे मिलाप ।

अभिनव कुमार

कौन क्या कर रहा है !
तुम्हें क्या फ़र्क़ पड़ रहा है,
तुम अपने कर्म अच्छे करते चलो बस,
वो देख रहा है और समझ भी रहा है ।

अभिनव कुमार

उलझनों में कुछ गुम था,
मैं थोड़ा सा गुमसुम था,
ये ना समझना अनदेखा किया तुम्हें,
तुम्हारा ख़याल तो हरदम था
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अभिनव कुमार

बहुत कुछ सुना है,
बहुत कुछ सुना है,
जो कहा नहीं है मैंने,
वो भी कई गुना है ।

अभिनव कुमार

ना दोस्त है कोई,
ना कोई माई बाप है,
दिल कैसे अपना हल्का करूँ ?
रोना यहाँ पर पाप है ।

अभिनव कुमार

सिर्फ़ मुझमें ही पाप और दोष हैं,
बाक़ी सब निर्दोष हैं !
कैसे दिल मैं हल्का करूँ ?
ना दारू है, ना ही दोस्त हैं |

अभिनव कुमार

इतना भी बुरा नहीं हूँ मैं कि,
जितना एहसास करा दिया गया हूँ ।
मेरा होना, ना होना, एक ही बराबर,
अब पिता से दास बना दिया गया हूँ ।

अभिनव कुमार

तेरे साथ क्या इतना बुरा किया ?
तूने जो मुझको ठुकरा दिया ।
जितना आने की कोशिश की पास,
उतना ही दामन छुड़ा लिया |

अभिनव कुमार

जीवन में लोग अक्सर,
धोखा खाते ग़लत शक्स से ।
उसके बाद असहज हो जाते,
अच्छे व्यक्ति से रहते संभलते ।

अभिनव कुमार

हम ख़ुद से बात नहीं करते,
औरों से तो दूर की बात है ।

अभिनव कुमार
poemकविताप्रेम पर कविताशायरी