आसान है क्या …

आसान है क्या …

आसान है क्या ?
सोचो तो सब कुछ !
सोचो तो कुछ भी नहीं !

चिंतन पर,
सबकुछ ही निर्भर,
क्या सरल, क्या है विकट !

मन:स्थिति,
लिखती है विधि,
बनाए बिगाड़े हर घड़ी ।

श्वास लेना,
आसान है क्या ?
कोशिश कर, सब कुछ होगा ।

आत्मबोध – अभिनव कुमार

कविता