बहुत कठिन था वो दौर,जिसको आज हम याद करते हैं ।
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
मंगले पांण्डे चढा फांसी पर,लक्ष्मी बाई के हम दिवाने है ।
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
भगतसिंह,राजगुरु,चन्द्रशेखर,जिनके गीत सब गाते हैं ।
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
तात्या टोपे आजादी का सपना, जनता को देते जाते हैं ।
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
राणाप्रताप मेवाड़ की आन,बान,शान के लिए मर जाते हैं ।
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
राजा,रंक,जन सभी तो आजा़दी की सुगंध मे मतवाले हैं ।
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
माता रोई ,पत्नी रोई ,रोई बहने ;उन देशप्रेमी वीरों की ।
आओ याद करें आज गाथा फिरसे,मातृभूमि के बेटों की ।।
बहुत कठिन था वो दौर,जिसको आज हम याद करते हैं ।
उन वीरों की याद में हम 15 अगस्त का पर्व मनाते हैं।।
बलिदान की उन गाथाओं को हम अपने हिय सजातें हैं ।
उन वीरों की याद में हम 15 अगस्त का पर्व मनाते हैं ।।
जय हिन्द ,जय भारत
अजय महिया (हनुमानगढ़)