बजाए कि चीखें या झपटें, बेहतर हो सब सुनें व समझें । इंसान हैं, इंसानियत निभाएं, प्यार का सबको पाठ पढ़ाएं । अभिनव कुमार – Aug 2020 इन खुशियों के पीछे गहरी उदासी है, ऐसे ही नहीं दास्ताँ लिखी जाती है । अभिनव कुमार – Aug 2020 मैं जिसको गलत समझता रहा, उसने ना जाने … अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ को पढ़ना जारी रखें
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