थक गया हूं लड़ – लड़कर हालातों से,
अभिनव कुमार
दुआ करो कि अब ये आघात आखिरी हो। आँखें हैं कि इंतज़ार में तेरे बहे जा रही हैं,
खुदा करे कि बरसात ये अब आखिरी हो । दिल कहे जा रहा है पर मन है कि समझता ही नहीं,
यदि ऐसा है तो अब ये जज़्बात काश आखिरी हों ।
बदतमीज़ी गर हद तक हो इजाज़त है,
अभिनव कुमार
जहां हद पार हुई तो फ़िर बस महाभारत है ।
उम्र भर की है दोस्ती आपसे,
अभिनव कुमार
कोई एक दिन की मोहताज नहीं,
रहेगी जब तक हैं आखिरी सांसें,
ऐसे ही आप पर हमें है नाज़ नहीं ।
नाराज़गी है तुम्हारी हमसे,
अभिनव कुमार
ख़ैर ये भी ज़रूरी है !
हम कोई फन्नेखां थोड़े हैं कि,
हमारी रज़ा से ही दूरी है ।
मेरा परिवार,
अभिनव कुमार
मेरा असली यार,
इससे ही,
मुझको है प्यार ।
तुम मेरे बिन,
अभिनव कुमार
खुश हर पल, हर दिन,
मैं तेरे बिन,
बंजर सी ज़मीं।
किसी में गर दिखे कमी,
अभिनव कुमार
तो उसको समझाइए,
यदि सब में दिखे कमी,
तो ख़ुद पर तरस खाइए ।
आप बेहद ख़ास हो,
अभिनव कुमार
एक अलग ही एहसास हो,
आप मेरा कुआं,
आप मेरी प्यास हो ।
“मुझको ख़ूब टटोला गया,
अभिनव कुमार
हर अंजर – पंजर खोला गया,
दिल की बातें कर लो ‘दो’,
कभी ये पर ना बोला गया !!