कविता

आऊंगा जरूर – अज़य महिया

तुम्हे मिलने मै आऊंगा जरूर
कभी राम बनकर
कभी कृष्ण बनकर
कभी सीता बनकर
कभी राधा बनकर
कभी पति बनकर
कभी पत्नी बनकर
कभी पुत्र बनकर
कभी पुत्री बनकर
मैं तुम्हे याद आऊंगा जरूर
कभी कलम बनकर
कभी किताब बनकर
कभी ख्वाब बनकर
कभी नींद बनकर
कभी सपना बनकर
मैं तुम्हे देखने आऊंगा जरूर
कभी रात बनकर
कभी दिन बनकर
कभी सितारे बनकर
तो कभी चाँद बनकर
कभी छाँव बनकर
तो कभी धूप बनकर
आऊंगा जरूर आऊंगा जरूर

मै लेखक अजय महिया मेरा जन्म 04 फरवरी 1992 को एक छोटे से गॅाव(उदासर बड़ा त नोहर. जिला हनुमानगढ़ राजस्थान) के किसान परिवार मे हुआ है मै अपने माता-पिता का नाम कविता व संगीत के माध्यम करना चाहता हूं मै अपनी अलग पहचान बनाना चाहता हूं

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