श्रद्धा और प्रेम का मिलन है अमरनाथ यात्रा
त्रिदेवों में सर्वश्रेष्ठ देवों के देव महादेव जो सृष्टि के संघारकर्ता कहे जाते हैं अपने शीघ्र क्रोधित होने वाले स्वभाव से जाने जाते हैं जब शिव क्रोधित होते है तो शिव के विकराल रुप और तीसरी दृष्टि के प्रकोप से पूरा ब्रह्मांड हिल जाता है, परंतु यह भी सत्य है कि जो भी व्यक्ति भगवान शिव की आराधना भक्ति भाव से करता है ईमानदारी और सच्ची निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करता है उस व्यक्ति पर भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होकर इच्छित फल प्राप्त करते हैं।
प्रत्येक वर्ष अमरनाथ यात्रा की शुरुआत जून-जुलाई के महीने में होती है इस वर्ष अमरनाथ यात्रा की शुरुआत 29 जून से हो रही है अमरनाथ गुफा श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर हिमालय पर्वत की श्रेणियों में स्थित है, इस गुफा को पवित्र गुफा भी कहा जाता है। समुद्र तल से इस गुफा की ऊंचाई 13600 फीट है और गुफा की लंबाई 19 मीटर तथा चौड़ाई 16 मीटर है।
भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में अमरनाथ यात्रा का अलग ही महत्व है धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व की कथा सुनाई थी प्रत्येक वर्ष गुफा में बर्फ का एक बुलबुला बनता है जो 15 दिनों तक थोड़ा-थोड़ा रोजाना बढ़ता है इस पवित्र शिव लिंग की लंबाई 2 गज से भी ज्यादा हो जाती है वर्षभर यह स्थान बर्फ से ढका रहता है परंतु अमरनाथ यात्रा शुरू होने से 1 महीने पहले यहां श्रद्धालुओं के लिए ठहरने व खाने पीने का बंदोबस्त शुरू हो जाता है और यात्रा समाप्त होने तक लगभग 2 महीने यहां एक शहर सा बस जाता है।
अमरनाथ यात्रा के दो मार्ग है एक पहलगाम मार्ग तथा दूसरा बालटाल मार्ग। पहलगाम मार्ग से गुफा तक की लंबाई लगभग 48 किलोमीटर है परंतु यह मार्ग सरल है और बालटाल मार्ग से गुफा तक की दूरी 15 किलोमीटर है लेकिन यह मार्ग दुर्गम है, दोनों ही मार्गों पर अमरनाथ यात्रा के दौरान शिव भक्तों की खूब भीड़ होती है, पूरे देश से शिवभक्त इस यात्रा में हिस्सा लेने के लिए आते हैं। पैदल यात्रा के अलावा भी घोड़े खच्चर या हेलीकॉप्टर के द्वारा श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा तक पहुंचाया जाता है इस यात्रा में जवान, किशोर या बूढ़े सभी एक ही भाव से आते हैं इतनी कठिन यात्रा को पूरा कर जब श्रद्धालु शिवलिंग के दर्शन करते हैं तो उनके चेहरे पर प्रेम व श्रद्धा के भाव साफ़ दिखाई देने लगते हैं, बर्फानी बाबा के दर्शन करते ही श्रद्धालुओं के तन और मन की थकान दूर हो जाती है इस यात्रा में सभी श्रद्धालु एक दूसरे की मदद करते हुए आगे बढ़ते हैं इस यात्रा में कोई छोटा या कोई बड़ा नहीं होता मजदूर से लेकर अधिकारियों तक सभी के मन में वही श्रद्धा और प्रेम का भाव होता है।
अमरनाथ यात्रा पर जाने वालों को एक अलग ही अनुभूति होती है हिंदू मुस्लिम के नाम पर सांप्रदायिकता की लड़ाई लड़ने वाले लोगों को जीवन में एक बार अमरनाथ यात्रा अवश्य करनी चाहिए यहां आकर हिंदू मुस्लिम का बैर उन लोगों के मन से निकल जाएगा आश्रितों को पवित्र गुफा तक घोड़े वो खतरो के द्वारा मुस्लिम भाई ही पहुंचाते हैं तथा पवित्र गुफा के आसपास हजारों दुकानें और खान पान की व्यवस्था नहीं मुस्लिम भाइयों द्वारा की जाती है जय भोले के स्वर नाथ से पूरी घाटी से गुंजायमान होती है तो हिंदू मुस्लिम का भी भुला देती है दुर्गम रास्तों पर जब एक दूसरे का हाथ पकड़ कर रास्ता पार कराया जाता है तो मन अपने मन की भावना से भर जाता है इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं में एक सेवा भाग दिखाई देता है जो प्रत्येक धर्म जाति रंग के भेदभाव से कही ऊपर होता है।
बालटाल और पहल गांव मार्ग पर श्रद्धालुओं के लिए मुफ्त में खाने के भंडारे जगह-जगह लगे होते हैं जो कुछ भी भक्तों द्वारा ही सेवा भारती तथा पुण्य कार्य करने के लिए लगाए जाते हैं जिनके अंदर श्रद्धालुओं के लिए अपार प्रेम और सद्भाव होता है।
इस वर्ष 29 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा में बर्फानी बाबा का आकार पिछले साल की तुलना में अधिक बढ़ा है अमरनाथ यात्रा प्रत्येक वर्ष की तरह इस साल भी संकटों की साए में है जहां कश्मीर घाटी में हिंसा के हालातों के बीच या यात्रा शुरू हो रही है श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए 210 सेना और अर्धसैनिक बलों की बटालियन तैनात की गई है जो कि पिछले साल की तुलना में लगभग 2 गुनी है अमरनाथ यात्रा का समापन सावन पूर्णिमा अर्थात रक्षाबंधन के दिन हो जाएगा।