कविता

मेरी प्यारी बेटी

मेरी प्यारी बेटी
नन्हे -नन्हे पग रखकर,
जब चलती गुड़िया प्यारी।
मुस्कान तेरी ऐसी,
कि मैं बलिहारी जाऊं।
नन्हे हाथों में,
जो कोमल सा एहसास।
पापा की परी,
मां की दुलारी।
मेरी गुड़िया प्यारी।
होठों पर बोल तोतले,
मुस्कान ये प्यारी सी।
इन पर लुटा दूं मैं,
दुनिया की सारी खुशियां।

मेरा जन्म कन्नौज के एक छोटे से कस्बा उमर्दा में हुआ है मेरी प्रारंभिक शिक्षा इंटरमीडिएट जीआईसी इंटर कॉलेज उमर्दा ग्रेजुएशन पोस्ट ग्रेजुएट और b.ed कानपुर यूनिवर्सिटी से किया है हिंदी साहित्य में बहुत ही रुचि है कविताएं लिखना, कहानियां,भजन लिखना मुझे अच्छा…

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