कविताख़ास

[कविता] मैंने बहुत याद किया – बृजेश यादव

एक प्रेमी युगल की काफी दिन के बाद बात हुई…तो प्रेमिका ने प्रेमी से पूछा क्या किया इतने दिन???
तो प्रेमी ने अपना हाल किस तरह वयां किया…पढ़िएे मित्रों….

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उसने मुझसे पूछा कि क्या किया इतने दिन?

मैंने कहा…..

तेरी याद में सनम मैंने गिने दिन और गिनी रातें,

हर घडी और हर पल गिने,

और मैंने याद बहुत किया…

तेरे कंचन से बदन की मदहोश करने वाली भीनी भीनी सी खुशबु को,

तेरी घनी जुल्फों की छांव को,

तेरी समंदर सी गहरी आँखों को और तेरी कातिल नज़रों को,

मैंने याद बहुत किया….

तेरी गालों की लाली को,

तेरे नरम गुलाबी लरज़ते होटों के रसपान को,

मैंने याद बहुत किया…

तेरी सुरीली आवाज़ और प्यार भरे लहजे को,

तेरी पल भर के अंतराल वाली मासूम सी हंसी को,

मैंने याद बहुत किया…..

तेरी गदराई गर्दन और मदमस्त आँचल को,

तेरी नाभि की गहरायी को, 

तेरी पतली कमर और लहराती चाल को,

मैंने  याद बहुत किया…

तेरी चिकनी पिंडलियों को, गोरी गोरी ऐड़ियों को,

और तेरी इतराती अदाओं को,

मैंने याद बहुत किया…

मेरी बाहों में तेरे आहिस्ता-आहिस्ता सिमटने के अंदाज़ को,

मैंने याद बहुत किया…..

हर पल और हर घडी,

सारी दुनिया को भूल कर मैंने,

मैंने याद! बहुत याद किया…

सिर्फ तुझको…सिर्फ तुझको…और सिर्फ तुझको।।

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