बिन मतलब,
अभिनव कुमार
गर तेरी तलब,
मानो मिल गया रब,
मिल गया रब ।
आँखों से बात,
अभिनव कुमार
कुछ अलग ही बात,
तारों की रात,
अनकहे जज़्बात ।
दोस्ती मैं सच्ची निभा ना सका,
अभिनव कुमार
दिल में तुम्हारे जगह पा ना सका,
झूठ ना कहके भी झूठा कहलाया,
ग़लती थी बस यही कि हक़ीक़त बता ना सका ।
आपकी दुआ है, 🙏🏻
अभिनव कुमार
सबकुछ तो दिया है, 🛐
मैं पर बेशुक्रा, ☹️
क्या तुमने किया है ? 😠
आत्म-मंथन ✍🏻
जब लिख जाता हूँ,
अभिनव कुमार
मैं मुस्काता हूँ,
लगता है ऐसे,
कि सब पाता हूँ।
मिल जाए प्रशंसा,
अभिनव कुमार
बिल्कुल नहीं मंशा,
लिखता हूँ मैं तो,
करने मन हल्का ।
मैं एक आम आदमी हूँ,
अभिनव कुमार
आंखों में सिर्फ़ नमी हूँ,
इच्छाएं जो बस दबी हूँ,
केवल कमी ही कमी हूँ ।
महज़ एक दोस्त नहीं बना पाया,
अभिनव कुमार
सब बेकार, कुछ भी ना कमाया,
फ़िर क्या तात्पर्य धूप या छाया !
क्या साझा, क्या ही था छुपाया !
रोता हूँ, तो कहो, बने तमाशा,
अभिनव कुमार
पीता हूँ, तो कहो, जाहिल आवारा,
मेरा जीना ना मरना गंवारा,
मुझको जीते जी है मारा ।
ख़ुद से दूर हुए, हो गए अरसे,
अभिनव कुमार
निकला, निकाला गया हूँ घर से ?
आपबीती मेरी कोई तो समझे !
मेरा दिल, बस एक दोस्त को तरसे ।
आप चट्टान हैं,
नींव हैं,
अपने परिवार की,
रीढ़ हैं ।धीरज रखिये,
प्रार्थी – अभिनव
मुस्कान रखिये,
हिफाज़त से संजोके,
अपना ध्यान रखिए ।
होंसलों का सबूत देना था,
अभिनव कुमार
इसलिए ठोकरें खाकर मुस्कुरा पड़े थे,
वजूद को भी जवाब था देना,
इसलिए उसूल पे हरदम हुए अड़े थे !
कठिन दौर है, गुज़र जाएगा,
अभिनव कुमार
उजाला जल्दी ही आएगा,
तुम बस साहस हिम्मत रखो,
हारेगा वो, जो घबराएगा । ✍🏻