कविता

दल बदलने की रेलम पेल – कमल श्रीमाली

राजनीति में कभी इधर कभी उधर हो रहे हैं
चुनाव आये हैं नेता इधर उधर हो रहे हैं

कैसे सिद्धांत, कैसी पार्टी, कैसी नैतिकता
इधर नहीं मिला टिकट तो उधर हो रहे हैं

पता ही नहीं चल रहा है कौन किस पार्टी में है
सुबह किधर,दोपहर इधर,शाम उधर हो रहे हैं

जब तक उधर थे भ्रष्ट, इधर आए तो सर्वश्रेष्ठ
दल बदलूओं के चरित्र इधर उधर हो रहे हैं

अब भेड़ चाल भी चलने लगे हैं ये नेता सारे
एक चला जिधर सभी उधर हो रहे हैं

मुद्दे, प्रतिबद्धता, सिद्धांत सभी गौण हो गए
जिधर दिखे मलाईदार पद, उधर हो रहे हैं

देश विकास की किसको पड़ी, भाड़ में जाए
जो करें व्यक्ति विकास, सभी उधर हो रहे हैं

कांग्रेस,भाजपा,बसपा,सपा, माकपा,टीएमसी
एनसीपी और आप सबमें इधर उधर हो रहे हैं|

नेहरु काॅलोनी फालना जिला पाली राजस्थान 9829105535

Related Posts

error: Content is protected !!