तेरी ज़ुल्फों का साया जो मिला होता
लेखक अज़य महिया
मै इक पल वहां आराम से सोया होता
अब सत् और असत् मे द्वन्द्व होगा
लेखक अज़य महिया
धोखे और धोखेबाज़ से युद्ध होगा
अब याचना नही केवल रण होगा
या तो जीवन या फिर मरण होगा
अब अनीति पर जीत,जश्न न होगा
खड़्ग की नोक से अब सम होगा
ये मासूम निगाहें,ये मासूम चेहरे,ये मासूम सी अदाएं ।
संगीतकार & गीतकार अज़य महिया
जाने कब, कैसे खो गए उनकी जुल्फों के तराने ।।
हर चेहरा मुस्कान बिखेर रहा था उस दिवार मे ।
पता नहीं कहां खो गए वो मौसम पुराने
गर्दिशों की उड़ती गर्द मेरे अन्जुमन मे आ गिरी ।
संगीतकार & गीतकार अज़य महिया
सोचा अफ़साना हुआ है कुछ पर आफ़त आ गिरी ।।
सुनहरे सपने देखता रहता था मै रोज गुमसुम सा ।
उसकी यादों की आराईश मेरे हृदय मे आ गिरी।।
ओ सखी! हम तो इस कदर चोट खाए बैठे थे
संगीतकार & गीतकार अज़य महिया
तुमने आकर हमारा जख्म भर दिया ।
इस दर्द-ए-दिल की क्या दवा होती है
गुफ़्तगू ने तुम्हारी मुझे तैरना सीखा दिया
सादगी मे तेरी कयामत बिखर जाए
संगीतकार & गीतकार अज़य महिया
रो दो तुम तो बारिश हो जाए
हम तो चलते हैं तेरी ज़ुदाई लेकर
सिर्फ एक कप चाय हो जाए
दिल तो दिवाने देते है साहब
संगीतकार & गीतकार अज़य महिया
हम तो शायर है केवल नजाक़त देते है
सड़क के एक तरफ मै और दूसरी तरफ वो खड़ी थी।
संगीतकार & गीतकार अज़य महिया
शायद वो मुझे कुछ कह रही थी और मै सुन नही पा रहा था ।
एक खुशी अपनी जिन्दगी मे पाई है मैने ।
अजय महिया – इश्क का राही
इश्क की किताब से दूरियां बनाई है मैने ।।
क्या पूछते हो हमे ए दोस्त।।
तुम्हारी मौहाब्बत से ज़ुदाई तो पाई है मैने।।