ये शाम भी ढल जाएगी …
अपने से ज़्यादा,
हो दूजे का ध्यान,,
यही बस करना,,,
है सबको श्रीमान ।
कोशिश ना बने,
कोई किसी का कैरियर,,
सब्र का इम्तिहान,,,
सबसे बढ़िया घर ।
तप का मौका,
कर दिखाएं सब,,
ख़ुद भी रहें स्वस्थ,,,
औरों को भी समझाएं हम ।
जाने अनजाने में,
ना हो जाए गलती,,
भूल सुधारें,
हम जल्दी जल्दी ।
घूमने का क्या है !
कल भी घूम लेंगे,,
आज परीक्षा का वक़्त,,,
ख़ुद में खुदी को ढूंढ लेंगे ।
लगाएँ मास्क,
करें सैनिटाइज,,
धोएं हाथ,,,
सिर्फ़ यही है चॉयस ।
थोड़ी सतर्कता,
थोड़ी एहतियात,,
दूर से नमस्ते,,,
दूर से हो बात ।
मत लें इसे हल्का,
नहीं रहा हूँ डर,,
ये समय की मांग,,,
लें कमर को कस ।
ना करें घृणा,
बस रहें सचेत,,
करनी हो मदद,,,
तो ना कोई खेद ।
रक्खें होंसला,
ना हो घबराहट,,
ये ही सार,,,
ये शक्ति, ताक़त ।
मुझसे अकेले,
ना होगी रोकथाम,,
आप सब का साथ,,,
तभी ढलेगी शाम,,,,
तभी ढलेगी शाम ।
स्वरचित – अभिनव ✍