समय चक्र की मार
वर्तमान में हो गया, बुरा सभी का हाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
दर-दर थे भटके सभी, मित्रों पिछले साल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
विपदा का फिर आ गया, पुनः सामने काल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
मिलना-जुलना छोड़कर, करते केवल कॉल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
बदहाली से त्रस्त हो, बदली सबकी चाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
करें श्वास व्यापार कुछ, धर इंसानी खाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
हर मसले पर कुछ यहाँ, रोज बजाते गाल।
समय चक्र की मार से हुए सभी बेहाल।।
काढ़ा सेवन कर रहे, ले वृक्षों की छाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
अर्थ लोभ की चाह में, नित्य बिछाते जाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
गाँठ बाँध ले हम सभी, प्रकृति बनेगी ढाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
औरों के दुख पर सभी, छोड़े देना ताल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
बच्चे रोते भूख से, रिक्त पड़ा है थाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
खाने को कुछ भी नहीं, रोटी हो या दाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
नित्य दिखाई दे रहा, यहाँ शिकन हर भाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
दैत्य विवशता बेचकर, ख़ूब कमाते माल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
भयाक्रांत सब हो रहे, हालत खस्ताहाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
रोज हजारों मर रहे, दृश्य बड़ा विकराल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
पाई-पाई लुट गई, फिर भी बचा न लाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।
मानव दानव बन गया,”कृष्णा” यही मलाल।
समय चक्र की मार से, हुए सभी बेहाल।।